शुक्रवार, 21 जून 2019

शानदार स्टार्ट-अप आईडिया बदल जायेगी आपकी दुनिया

 मोती एक प्राकृतिक रत्‍न है जो सीप से पैदा होता है। भारत समेत हर जगह हालांकि मोतियों की माँग बढ़ती जा रही है, लेकिन दोहन और प्रदूषण से इनकी संख्‍या घटती जा रही है। अपनी घरेलू माँग को पूरा करने के लिए भारत अंतराष्ट्रीय बाजार से हर साल मोतियों का बड़ी मात्रा में आयात करता है। सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर, भुवनेश्‍वर ने ताजा पानी के सीप से ताजा पानी का मोती बनाने की तकनीक विकसित कर ली है जो देशभर में बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।


प्राकृतिक रूप से एक मोती का निर्माण तब होता है जब कोई बाहरी कण जैसे रेत, कीट आदि किसी सीप के भीतर प्रवेश कर जाते हैं और सीप उन्‍हें बाहर नहीं निकाल पाता, बजाय उसके ऊपर चमकदार परतें जमा होती जाती हैं। इसी आसान तरीके को मोती उत्‍पादन में इस्‍तेमाल किया जाता है।



है और यह कैल्शियम कार्बोनेट, जैपिक पदार्थों व पानी से बना होता है। बाजार में मिलने वाले मोती नकली, प्राकृतिक या फिर उपजाए हुए हो सकते हैं। नकली मोती, मोती नहीं होता बल्कि उसके जैसी एक करीबी चीज होती है जिसका आधार गोल होता है और बाहर मोती जैसी परत होती है। प्राकृतिक मोतियों का केंद्र बहुत सूक्ष्‍म होता है जबकि बाहरी सतह मोटी होती है। यह आकार में छोटा होता और इसकी आकृति बराबर नहीं होती। पैदा किया हुआ मोती भी प्राकृतिक मोती की ही तरह होता है, बस अंतर इतना होता है कि उसमें मानवीय प्रयास शामिल होता है जिसमें इच्छित आकार, आकृति और रंग का इस्‍तेमाल किया जाता है। भारत में आमतौर पर सीपों की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं- लैमेलिडेन्‍स मार्जिनालिस, एल.कोरियानस और पैरेसिया कोरुगाटा जिनसे अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले मोती पैदा किए जा सकते हैं।

उत्‍पादन कैसे करे 

इसमें छह प्रमुख चरण होते हैं- सीपों को इकट्ठा करना, इस्‍तेमाल से पहले उन्‍हें अनुकूल बनाना, सर्जरी, देखभाल, तालाब में उपजाना और मोतियों का उत्‍पादन।


१.) सीपों को इकट्ठा करना


तालाब, नदी आदि से सीपों को इकट्ठा किया जाता है और पानी के बरतन या बाल्टियों में रखा जाता है। इसका आदर्श आकार 8 सेंटी मीटर से ज्‍यादा होता है।

२.) इस्‍तेमाल से पहले उन्‍हें अनुकूल बनाना


इन्‍हें इस्‍तेमाल से पहले दो-तीन दिनों तक पुराने पानी में रखा जाता है जिससे इसकी माँसपेशियाँ ढीली पड़ जाएं और सर्जरी में आसानी हो।


३.) सर्जरी


सर्जरी के स्‍थान के हिसाब से यह तीन तरह की होती है- सतह का केंद्र, सतह की कोशिका और प्रजनन अंगों की सर्जरी। इसमें इस्‍तेमाल में आनेवाली प्रमुख चीजों में बीड या न्‍यूक्लियाई होते हैं, जो सीप के खोल या अन्‍य कैल्शियम युक्‍त सामग्री से बनाए जाते हैं।



सतह के केंद्र की सर्जरी: इस प्रक्रिया में 4 से 6 मिली मीटर व्‍यास वाले डिजायनदार बीड जैसे गणेश, बुद्ध आदि के आकार वाले सीप के भीतर उसके दोनों खोलों को अलग कर डाला जाता है। इसमें सर्जिकल उपकरणों से सतह को अलग किया जाता है। कोशिश यह की जाती है कि डिजायन वाला हिस्‍सा सतह की ओर रहे। वहाँ रखने के बाद थोड़ी सी जगह छोड़कर सीप को बंद कर दिया जाता है।

सतह कोशिका की सर्जरी: यहाँ सीप को दो हिस्‍सों- दाता और प्राप्तकर्त्ता कौड़ी में बाँटा जाता है। इस प्रक्रिया के पहले कदम में उसके कलम (ढके कोशिका के छोटे-छोटे हिस्‍से) बनाने की तैयारी है। इसके लिए सीप के किनारों पर सतह की एक पट्टी बनाई जाती है जो दाता हिस्‍से की होती है। इसे 2/2 मिली मीटर के दो छोटे टुकड़ों में काटा जाता है जिसे प्राप्‍त करने वाले सीप के भीतर डिजायन डाले जाते हैं। यह दो किस्‍म का होता है- न्‍यूक्‍लीयस और बिना न्‍यूक्‍लीयस वाला। पहले में सिर्फ कटे हुए हिस्‍सों यानी ग्राफ्ट को डाला जाता है जबकि न्‍यूक्‍लीयस वाले में एक ग्राफ्ट हिस्‍सा और साथ ही दो मिली मीटर का एक छोटा न्‍यूक्‍लीयस भी डाला जाता है। इसमें ध्‍यान रखा जाता है कि कहीं ग्राफ्ट या न्‍यूक्‍लीयस बाहर न निकल आएँ।

प्रजनन अंगों की सर्जरी: इसमें भी कलम बनाने की उपर्युक्‍त प्रक्रिया अपनाई जाती है। सबसे पहले सीप के प्रजनन क्षेत्र के किनारे एक कट लगाया जाता है जिसके बाद एक कलम और 2-4 मिली मीटर का न्‍यूक्‍लीयस का इस तरह प्रवेश कराया जाता है कि न्‍यूक्‍लीयस और कलम दोनों आपस में जुड़े रह सकें। ध्‍यान रखा जाता है कि न्‍यूक्‍लीयस कलम के बाहरी हिस्‍से से स्‍पर्श करता रहे और सर्जरी के दौरान आँत को काटने की जरूरत न पड़े।

४.) देखभाल

इन सीपों को नायलॉन बैग में 10 दिनों तक एंटी-बायोटिक और प्राकृतिक चारे पर रखा जाता है। रोजाना इनका निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों और न्‍यूक्‍लीयस बाहर कर देने वाले सीपों को हटा लिया जाता है।


५.) तालाब में पालन

देखभाल के चरण के बाद इन सीपों को तालाबों में डाल दिया जाता है। इसके लिए इन्‍हें नायलॉन बैगों में रखकर (दो सीप प्रति बैग) बाँस या पीवीसी की पाइप से लटका दिया जाता है और तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है। इनका पालन प्रति हेक्‍टेयर 20 हजार से 30 हजार सीप के मुताबिक किया जाता है। उत्‍पादकता बढ़ाने के लिए तालाबों में जैविक और अजैविक खाद डाली जाती है। समय-समय पर सीपों का निरीक्षण किया जाता है और मृत सीपों को अलग कर लिया जाता है। 12 से 18 माह की अवधि में इन बैगों को साफ करने की जरूरत पड़ती है।

६.) मोती का उत्‍पादन

पालन अवधि खत्‍म हो जाने के बाद सीपों को निकाल लिया जाता है। कोशिका या प्रजनन अंग से मोती निकाले जा सकते हैं, लेकिन यदि सतह वाला सर्जरी का तरीका अपनाया गया हो, तो सीपों को मारना पड़ता है। विभिन्‍न विधियों से प्राप्‍त मोती खोल से जुड़े होते हैं और आधे होते हैं; कोशिका वाली विधि में ये जुड़े नहीं होते और गोल होते हैं तथा आखिरी विधि से प्राप्‍त सीप काफी बड़े आकार के होते हैं।





ताजा पानी में मोती उत्‍पादन का खर्च

• ये सभी अनुमान सीआईएफए में प्राप्‍त प्रायोगिक परिणामों पर आधारित हैं।


• डिजायनदार या किसी आकृति वाला मोती अब बहुत पुराना हो चुका है, हालांकि सीआईएफए में पैदा किए जाने वाले डिजायनदार मोतियों का पर्याप्‍त बाजार मूल्‍य है क्‍योंकि घरेलू बाजार में बड़े पैमाने पर चीन से अर्द्ध-प्रसंस्‍कृत मोती का आयात किया जाता है। इस गणना में परामर्श और विपणन जैसे खर्चे नहीं जोड़े जाते।



• कामकाजी विवरण



1. क्षेत्र 0.4 हेक्‍टेयर

2. उत्‍पाद डिजायनदार मोती


3. भंडारण की क्षमता 25 हजार सीप प्रति 0.4 हेक्‍टेयर


4. पैदावार अवधि डेढ़ साल


ट्रेनिंग कहा से ले

आपकी सुविधा के लिये हम निचे कुछ प्रक्षिशन केन्द्रों के लिंक दिये है 
Indian Council of Agricultural Research

मोती की खेती क्या और कैसे ( FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न व् उसके उत्तर)

1. मोती की खेती के लिए कितनी जगह की आवश्यक है?
2. मोती की खेती के लिए कितनी कितनी पूंजी चाहिए?
3. मोती कितने का बिक सकता है?
4. मोती की खेती के लिए किस प्रकार की दवाइयां चाहिए?
5. मोती की खेती के लिए किस तरह के न्यूक्लिस काम आते हैं?
6. सीप क्या खाती है, उसका खाना कैसे तैयार करें?
7. अमोनिया बढ़ने की अवस्था में क्या करें
8. मोती की खेती का प्रशिक्षण कहां से लें ?

प्रश्न:1– क्या मोती की खेती घर पर भी की जा सकती है या उसके लिए किसी बड़े तालाब या जगह की जरुरत होती है?
उत्तर – जब तक आप बड़े पैमाने पर खेती नहीं करना चाहते, आपको बड़े तालाब की जरुरत नहीं है, 500 सीप तक की खेती घर पर प्लास्टिक या सीमेंट के टैंक में कर सकते हैं. आप 200 से 225 लीटर के सीमेंट या प्लास्टिक के टैंक्स को अपने घर के आंगन या छत पर छाँव में रख सकते हैं

प्रश्न:2– मोती की खेती में कितना व किस प्रकार का इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा?
उत्तर – मोती की खेती के लिए आवश्यक उपकरण (टूल्स), सीप, प्लास्टिक के टैंक, दवाइयां, जाल, न्यूक्लिस इन सब में इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा.

इन्वेस्टमेंट कितना करना पड़ेगा ये कुछ चीजों को छोड़ कर (जैसे टूल्स, दवाइयां) सीप की संख्या पर निर्भर करेगा, हम छोटा सा आईडिया लेकर चलते हैं की अगर 500 सीप से काम शुरू करना है तो कितना इन्वेस्टमेंट होगा, जायदा के लिए संख्या के हिसाब से अमाउंट बढ़ जायेगा 
500 सीप की कीमत अनुमानित = 500 x 8 = 4000 /- 
अमोनिया टेस्टिंग किट की कीमत अनुमानित = 1 x 1500 = 1500 /- 
आवश्यक एंटीबायोटिक दवाइयों की कीमत अनुमानित = 2 x 100 = 200 /- 
आवश्यक टूल किट (उपकरणों) की कीमत अनुमानित = 1 set x 800 = 800 /- 
500 सीप के लिए डिज़ाइनर न्यूक्लिस की कीमत अनुमानित = 1000 x 6 = 6000 /- 
500 सीप के लिए 9 टैंक की कीमत अनुमानित = 9 x 700 = 6300 /-
(एक टैंक में 60-70 सीप को रखा जायेगा) 
500 सीप के लिए 50-60 जाल की कीमत अनुमानित = 60 x 15 = 900 /-
(एक 10 पॉकिट वाले जाल में 10 सीप को रखा जायेगा) 
अन्य छोटे मोटे खर्चों के लिए अनुमानित = 6000 /- 

इन सभी अनुमानित खर्चो का जोड़ कुल = 25,700 /-

*** अगर एक मोती की कीमत अनुमानित 300 रूपये माने तो तक़रीबन 500 डिज़ाइनर मोती के = 500 x 300 =1,50,000 /-

इस हिसाब से समस्त खर्चों को निकलने के बाद (1,50,000 – 30,000) = 1,20,000 शेष रहेंगे, रूपये 20,000 महीने बचत.

अगर यही 1,000 सीप के हिसाब से किया जाये तो कम से कम 30 से 35 हजार रूपये महीना बचत होगी.

प्रश्न:3– एक मोती कितने का बिक सकता है?
उत्तर –
(1) डिज़ाइनर मोती 9 से 10 माह में तैयार होता व गुणवत्ता के हिसाब से एक मोती क़रीब 175 – 400 रूपये में बिक सकता है.
(2) गोल मोती या राउंड पर्ल 15 से 20 महीने में तैयार होता है व् गुणवत्ता के हिसाब से ये एक मोती करीब 550 से 700 रूपये में बिक सकता है.

प्रश्न :4– मोती की खेती के लिए किस तरह की दवाइयां / केमिकल काम में ली जाती हैं?
उत्तर -1: सीप में न्यूक्लिस डालने के बाद उसको Chloramphenicol नामक एंटीबायोटिक के घोल में डाल कर 5-6 दिनों के लिए रखा जाता है, ये 1 पीपीएम (1 mg per liter ) के हिसाब से पानी में मिलाया जाता है. इसका मतलब 250 लीटर पानी में आधा कैप्सुल डालना है.
उत्तर -2: एक अन्य केमिकल Eosin भी काम में लिया जाता है!

प्रश्न:5– मोती की खेती के लिए किस तरह के न्यूक्लिस काम आते हैं?
उत्तर –
(1) डिज़ाइनर मोती न्यूक्लिस – कीमत: 3/-
(2) गोल या राउंड न्यूक्लिस – कीमत: 7/-
(3) आधा गोल या हाफ राउंड न्यूक्लिस – कीमत: 3/-

प्रश्न :6– सीप क्या खाती है व् उसका खाना कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर -सीप का मुख्य भोजन काई है जिसे 1 लीटर पानी में 50 ग्राम चूना, 50 ग्राम युरिया, 50 ग्राम गाय का गोबर घोल कर बनाया जाता है, इस घोल को चौड़े मुंह वाले टब या बर्तन में 15 -20 दिनों तक धूप में रखा जाता है, 15-20 दिनों के बाद जब इसका रंग हरा हो जाये तो ये सीप को देने के लिए तैयार हो जाता है.

इस घोल को सीधा ही इस्तमाल नहीं करना है, इस घोल को सूती कपड़े से छान कर पानी को अलग कर लेना है क्यों की तैयार घोल में अमोनिया की मात्रा अधिक होगी इसलिए आपको थोड़ा – थोड़ा घोल सीप वाले टब या टैंक में डालना है व साथ ही अमोनिया चेक करते जाना है अगर अमोनिया का स्तर 0.5 से अधिक हुआ तो सीपों के मरने का खतरा होगा.

प्रश्न :7– पानी में अमोनिया कब बढ़ जाता है, अमोनिया बढ़ने की अवस्था में क्या करें
उत्तर -पानी में अमोनिया 2 कारणो से बढ़ जाता है (1) जब सीप को कहीं और से ले कर अनुकूलन के लिए रखा जाता है, सीप स्थान परिवर्तन के कारण अनुकूलन के लिए या असहज होने के कारण अमोनिया छोड़ सकती है या फिर (2) किसी सीप के मर जाने के कारण अमोनिया का स्तर बढ़ जाता है. अमोनिया बढ़ने की अवस्था में आपको तुरंत 25% पुराना पानी निकालना पड़ेगा व् नया (ताजा या पुराना किया) पानी मिलाना पड़ेगा.

प्रश्न:8 – मोती की खेती का प्रशिक्षण कहां से लें ? खेती कैसे करें व उसके बाद इस व्यवसाय को कैसे स्थापित करे ?
उत्तर -अगर आप मोती की खेती का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं तो इस तरह की सभी जानकारी के लिए हमसे संपर्क करें … व “कम लागत व अधिक मुनाफे” वाले व्यापर में प्रवेश करें

हम आपको मोती की खेती की ट्रेनिंग, व् इसके बाद व्यवसाय कैसे स्थापित करें व आगे आने वाली समस्याओं से कैसे निपटे इन सबके बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे.

प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग विभिन्न प्रयोजनों में किया जाता है। मोती एक प्राकृतिक र| है जो सीप में पैदा होता है। भारतीय बाजारो में इसकी मांग को बढ़ता देख अंतर्राष्ट्रीय बाजारो से इसकी आपूर्ति की जाती है। प्राकृतिक रूप से एक मोती का निर्माण तब होता है जब एक बाहरी कण जैसे रेत, कीट आदि किसी सीप के अंदर भीतर प्रवेश कर जाते है या अंदर डाले जाते है और सीप उन्हें बाहर नहीं निकाल पाता जिसकी वजह से सीप को चुभन पैदा होती है इस चुभन से बचने के लिए सीप अपने से रस (लार जैसा लिक्विड) स्राव करती है। जो इस कीट या रेत के कण पर जमा हो जाती है जो की चमकदार होती है। इस प्रकार उस कण या रेत पर कई परत जमा होती रहती है इसी आसान तरीके को प्राकृतिक मोती उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। और यह कैलशियम कार्बोनेट, जैविक पदार्थों पानी से बना होता है। 

यदि आपको कोई और मदद या मोती क वयवसय शुरु करने के लिये हमे इ मैल कर सकते है.

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